Powered by Blogger.

BANKELAL DIGEST 12 - Bankelal Comics Free Download

>>  Friday 3 August 2012

BANKELAL DIGEST 12
Format: Printed
Issue No: DGST-0078-H
Language: Hindi
Author: Tarun Kumar Wahi
Penciler: Bedi
Inker: N/A
Colorist: N/A
Pages: 192
बांकेलाल और कोढ़ी राजा-0562 विक्रमसिंह और बांकेलाल जा फंसे देवी आम्रपाली के जाल में जो लोगों को जबरदस्ती अमरता की दवाई पिला कर अमर कर देती थी! परन्तु अमर होने का मतलब था एक अनंत बुढ़ापे को झेलना! इसलिए दोनों जान बचा के भागे और जा फंसे कोढ़ी राजा के चक्कर में जो उन दोनों को समझ रहा था डाकुओं का साथी! अब क्या करेंगे विक्रम और बांके क्योंकि इधर कुआं है उधर खाई! बांकेलाल का बदला-0571 विशालगढ़ की तरफ बढ़ते बांकेलाल का अचानक विक्रमसिंह से छूट गया पीछा! प्रसन्न बांके खुशी से नाच उठा! मगर उसके बाद एक के बाद हुई उसकी फजीहत! और अंततः उसे फिंकवा दिया गया सिंहों की घाटी में! बस फिर क्या था बांके की बोदी खड़ी हो गई और वो चल दिया अपनी बेइज्जती का बदला लेने! पर इस बार वो अकेला नहीं था! उसके साथ थी पूरी सिंहों की टोली जो उसके इशारे पर कुछ भी करने को तैयार थी! जादू की झील-0581 विशालगढ़ की तलाश में भटकते विक्रमसिंह और बांकेलाल पहुंचे एक झील के पास जहाँ बांके ने किया जी भर कर स्नान! मगर वो झील थी मगरमच्छों से भरी हुई! बस फिर क्या था बांकेलाल ने अपनी जान तो बचा ली पर विक्रमसिंह को भेज दिया उस झील में स्नान करने को! और बेचारे विक्रमसिंह को मगरमच्छ घसीट कर ले गए! विक्रमसिंह से पीछा छुड़ा कर बांके पहुंचा एक नए नगर में! जहां उसमें आ गई एक चमत्कारी शक्ति वो जिस भी धातु को छूता वो बन जाता सोना! आखिर ये हुआ कैसे? बांकेलाल की ताकत-0592 बांकेलाल की किस्मत से इस बार उसे मिल गया ताकत का वृक्ष! जिसके फलों के सेवन करके वो बन गया ताकतवर लेकिन साथ ही उसे मिल गया एक श्राप भी कि वो उपर से तो ताकतवर दिखेगा पर अंदर से पिलपिला ही रहेगा! इस श्राप से अंजान बांके को मिला भारोतोलन प्रतियोगिता में भाग लेने का आमंत्रण! मिथ्या शक्ति के मद में चूर बांके ने इस प्रतियोगिता में भाग लेना कर लिया स्वीकार! तो क्या हुआ इस प्रतियोगिता का परिणाम? बेचारा बांकेलाल-0606 बांकेलाल और विक्रमसिंह को मिला एक चमत्कारी मुखौटा! बांकेलाल ने उसे बेकार की चीज समझ कर फेंक दिया मगर विक्रमसिंह ने जैसे ही उसे धारण किया वो मुखौटा उससे चिपक गया और बदल गई विक्रमसिंह की सूरत और उसमें आ गई असीमित शक्तियां! और बांकेलाल बेचारा मुंह ताकता रह गया! फिर क्या हुआ बेचारे बांकेलाल का? बांकेलाल और विक्रमसिंह-0613 विशालगढ़ की तलाश में भटकते बांकेलाल और विक्रमसिंह जा पहुंचे बुराड़ी नगर जहां उनका हुआ भव्य स्वागत! वहां के राजा बुढऊ ने बांके या विक्रम में से किसी एक को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने की घोषणा की! राजा बुढउ के कहने पर खुद को योग्य उत्तराधिकारी साबित करने विक्रम चल पड़ा सूरमा घाटी से खजाना लेने! पर भला बांके अपने सामने विक्रम को कैसे बनने देता राजा! विक्रम को मौत के जाल में फंसा कर बांके खुद जा पहुंचा सूरमा घाटी जहां खजाने की जगह उसे मिला राक्षस ‘बे’ जो लेना चाहता था उसकी बलि! अब क्या होगा बांकेलाल का?
Rs 100.00
Rs 85.00
You Save: 15.00%

0 comments :

Post a Comment

Followers

  © Blogger template Simple n' Sweet by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP